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Monday, 4 May 2020

गजल-अजय अमृतांशु

गजल-अजय अमृतांशु

बहरे मुतकारीब मुसद्दत सालिम
फ़ऊलुन   फ़ऊलुन   फ़ऊलुन

बहर - 122    122    122

हमर देश मा अब अमन हे।
इही नेता मन के कथन हे ।

हवै पइसा तब काम होही।
सबो कोती खाली गबन हे।

मदारी करत हे तमाशा ।
सबो आम मनखे मगन हे ।

करै चोरी अउ सीना जोरी।
बने संत गावत भजन हे।

हवै जनता लाचार भारी।
सबो कोती उजरे चमन हे ।

दया नइ रखै जेहा मन मा।
धरे बिरथा वोहा जनम हे ।

लगे लूट मा काला कहिबे ।
बचे नइहे खोखा वतन हे।

अजय अमृतांशु
भाटापारा (छत्तीसगढ़)

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