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Sunday, 24 May 2020

गजल- गजानन्द पात्रे

गजल- गजानन्द पात्रे
बहरे मुतक़ारिब मुसम्मन मक़्सूर
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़अल

122 122 122 12

कहाँ मोर छत्तीसगढ़ राज हा ।
नँदावत हवे जी सुमत साज हा ।।

परे खेत परिया सुखागे कुआँ ।
अकाली किसानी गिरे गाज हा ।।

बिछे जाल हे कारखाना बड़े ।
छिनागे हमर श्रम धरे काज हा ।।

बड़ा नीक लागे ददरिया मया ।
सुआ ताल पंथी के अंदाज हा ।।

नवा रोज फैशन जमाना दिखे ।
अपन ले बड़े के कहाँ लाज हा ।।

कुमत चाल परदेशिया मन चले ।
छिनागे हमर सुमता के ताज हा ।।

गढ़ौ राह कल बर गजानंद अब ।
कहाँ हे सुरक्षित हमर आज हा ।।


गजलकार- इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )

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