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Monday 4 May 2020

गजल- इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध" बहरे मुतकारीब मुसमल सालिम

गजल- इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बहरे मुतकारीब मुसमल सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
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बिना मान देये कहाँ मान पाबे ।
बिना गुरु लखाये कहाँ ज्ञान पाबे ।।

समाये रही द्वेष मन भीतरी ता ।
सुमत भोर ला तैं कहाँ लान पाबे ।।

शरण धाम चारो ददा दाई गुरु के ।
जपे देव पथरा कहाँ ध्यान पाबे ।।

धरे राह तैं झूठ के तो कहूँ जी ।
बता फेर सीना कहाँ तान पाबे ।।

करौ दीन दुखिया के सेवा सदा जी ।
बड़े येखरे ले कहाँ दान पाबे ।।

धरे राह संगत बुराई चले तँय ।
भलाई मरम ला कहाँ जान पाबे ।।

गजानंद जग आज अँधरा बने हे ।
वचन सत्य खातिर कहाँ ठान पाबे ।।

गजलकार - इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )

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