🌹 ग़ज़ल -आशा देशमुख 🌹
*बहरे रमल मुसम्मन मशकूल सालिम मज़ाइफ़ [दोगुन]*
*फ़यलात फ़ाइलातुन फ़यलात फ़ाइलातुन*
*1121 2122 1121 2122*
घुमे सच गली गली मा रमे झूठ हाट देखे
कहाँ हे रतन चिन्हैया चुपे सोन बाट देखे।
बहे खून धार नदिया होय हे अबड़ लड़ाई
हे गवाह सब किला मन सबो राजपाट देखे।
बिछे पाँव मा गलीचा लगे फूल कांस थारी
अभी दाना बर तरसथे कभू शान ठाट देखे।
इहाँ ले उहाँ घुमत हे धरे हे सबो के नस ला
हवे कोन मीठ सिठ्ठा जेहा घाट घाट देखे।
करौ कर्म मा भरोसा इही भाग ला बनाये
सुने हँव मरे सड़क मा जेन हा ललाट देखे।
आशा देशमुख
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