गजल-चोवा राम 'बादल'
*बहरे रमल मुसम्मन मशकूल सालिम मज़ाइफ़ [दोगुन]*
*फ़यलात फ़ाइलातुन फ़यलात फ़ाइलातुन*
*1121 2122 1121 2122*
उहू बात मान जाही तहूँ मान देख लेना
दुनो के विचार ला एके मा सान देख लेना
सदा जानू जानू कहिके जे हा जान छिड़कय
उही धोखा करके लेइच अजी जान देख लेना
हँसी हे उपर छवा प्यार तको बनावटी हे
हवे वादा खोखला चढ़े शान देख लेना
घड़ा आधा हे भरे फेर छलक भरे जनाथे
इही हाल मूढ़ के तो भरे ज्ञान देख लेना
हे खरीददार कतको खड़े जेब मा हे गरमी
बिके आबरू जिहाँ हे वो दुकान देख लेना
चोवा राम 'बादल'
हथबंद, छत्तीसगढ़
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