Total Pageviews

Monday, 4 May 2020

गजल- इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध" बहरे मुतकारीब मुसमल सालिम

गजल- इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बहरे मुतकारीब मुसमल सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
  122     122      122     122

बिना मान देये कहाँ मान पाबे ।
बिना गुरु लखाये कहाँ ज्ञान पाबे ।।

समाये रही द्वेष मन भीतरी ता ।
सुमत भोर ला तैं कहाँ लान पाबे ।।

शरण धाम चारो ददा दाई गुरु के ।
जपे देव पथरा कहाँ ध्यान पाबे ।।

धरे राह तैं झूठ के तो कहूँ जी ।
बता फेर सीना कहाँ तान पाबे ।।

करौ दीन दुखिया के सेवा सदा जी ।
बड़े येखरे ले कहाँ दान पाबे ।।

धरे राह संगत बुराई चले तँय ।
भलाई मरम ला कहाँ जान पाबे ।।

गजानंद जग आज अँधरा बने हे ।
वचन सत्य खातिर कहाँ ठान पाबे ।।

गजलकार - इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )

1 comment:

गजल

 गजल 2122 2122 2122 पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खा...