Total Pageviews

Monday, 4 May 2020

गज़ल-अजय अमृतांसु

गज़ल-अजय अमृतांसु

बहरे मुतकारिब मुसमन सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन

अरकान -122  122  122 122

कथा राम वैदेही संसार मा हे।
तभो झगरा सब जात परिवार मा हे।

चलाथौं बने कहिके बइठाये मोला।
नवा डोंगहा नाव मँझधार मा है।

करे कुछ नहीं देश के सेती तैंहा।
जवानी हवै फेर बेकार मा हे।

मया मा कहाँ मैं भुलागेंव ओकर ।
बचे जिनगी सिरतोन अँधियार मा हे।

बिना पइसा होवय नहीं काम भइया।
करा लव सबो काम उपहार मा हे।

अपन जान जोखिम करे हे हमेशा।
तभे तो भरोसा वफादार मा हे।

अकेला कहाँ जाबे घूमे ल तैंहा।
बना संगी साथी मजा चार मा हे।

अजय अमृतांशु
भाटापारा (छत्तीसगढ़)

1 comment:

गजल

 गजल 2122 2122 2122 पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खा...