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Friday 6 November 2020

छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव

 छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव


बहरे रमल मुसद्दस मख़बून मुसककन

फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन


2122  1122  22


ओ कदरदान के ताली लागे

सोनहा धान के बाली लागे


मोर अर्धांगिनी दिल के रानी

सुख सरग साथ म हाली लागे


ओ गहिर गोठ ददा कस करथे

दाई के पोरसे थाली लागे


राखथे बाग बगइचा हरियर 

मोर घर-बार के माली लागे


गिदगिदाए म भरोसा जमथे

हर नवा नोट ह जाली लागे


देख 'सुखदेव' हटा के चश्मा

मोला हर खून ह लाली लागे


-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'

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