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Friday, 6 November 2020

ग़ज़ल ---आशा देशमुख*

 *ग़ज़ल ---आशा देशमुख*


*बहरे रमल मुसद्दस मख़बून मुसककन*

फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन

2122  1122  22


आय हे ज्ञान भरे के पारी।

अब नवा बाट धरे के पारी।1


झूठ के शान मिटा देवव अब

साँच के राज करे के पारी।2


सच मया मान जिये घुट घुट के

स्वार्थ के आय मरे के पारी।3


प्रेम के घाव लगावव मरहम

अब गरब द्वेष  जरे के पारी।4


दम्भ के मार कतिक दिन सहिबे

क्रोध ला आज छरे के पारी।5


मारथस लात ददा दाई ला

आय अब पीर हरे के पारी।6


सब डहर देख अमावस छागे

सुन दीया तोर बरे के पारी।7


मखमली सेज सुपेती सूते

बाँस के पाँव परे के पारी।8


गोठ रख सार मया के आशा

मोर मँय मोह झरे के पारी।9



आशा देशमुख

एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा

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