छत्तीसगढ़ी गज़ल-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
बहरे रजज़ मुसम्मन सालिम
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 2212 2212 2212
बेरा बखत ले पाय हस संज्ञा कलम तलवार के
आशा निवेदन तोर ले हे साथ दे उजियार के
ऑंसू ल अनदेखा करत अन्याय के ॲंगरी धरत
नइहे उचित लिखना कुछू जयगान मा दरबार के
कर जोर के जनता करा सेवा के अवसर पा घलिस
अब धन सकेलत हे अकुत जनता के बाना मार के
मनुवा ला कोन-ए दिस मतर माथा दिखे मतराय कस
तॅंय चिन्ह कलम ओ कोन ये हॉंसत हे महुरा डार के
हिन्दू मुसलमान सिख ईसाई बौद्ध हो के जैन हो
सुखदेव हर एक नागरिक बर भाव रख परिवार के
-सुखदेव सिंह''अहिलेश्वर''
गोरखपुर कबीरधाम छ.ग.
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