*ग़ज़ल --आशा देशमुख*
बहरे रजज़ मुसद्दस मख़बून
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 1212
आमा बँधाय चेर हे
आही रसा हा देर हे।1
जे घर बसय सुमत लगन
लक्ष्मी विष्णु कुबेर हे ।2
केरा फरे कटाय मा
उतरे तभो तो घेर हे 3
पग कान बिन चले सुने
अंतस लगाय टेर हे।4
सुधरे कहाँ समाज हा
दीया तरी अँधेर हे।5
गलती सुधार लव अपन
लहुटव अभी भी बेर हे।6
आशा लगन तेँ माँग ले
ईश्वर लगाय ढेर हे।7
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
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