Total Pageviews

Friday 6 November 2020

गजल-अरुणकुमार निगम

 गजल-अरुणकुमार निगम

*बहरे रमल मुसद्दस महज़ूफ़*

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन

2122        2122        212


पद रहिस पावर रहिस चमचा रहिस।

पलपलावत हाथ मा पइसा रहिस।


घर मा तुलसी के सुघर पौधा रहिस

वो जमाना मा कतिक एका रहिस।


सोन कस चमकय पसीना माथ 

मा

गोड़ मा चन्दन असन धुर्रा रहिस।


खोद के देखे हवँव मँय डोंगरी

का बतावँव खाल्हे मा मुसुवा रहिस।


बाँटथव दारू-रुपैया गाँव मा

का तुँहर घर सोन के मटका रहिस।


लूट के चल दिस चिरैया सोन के

वो मया के नाम मा धोखा रहिस।


कर भरोसा हार गे घर-द्वार ला

लोग कहिथें ये "अरुण" बइहा रहिस।


*अरुण कुमार निगम*

No comments:

Post a Comment

गजल

 गजल पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खात हावँय घूम घुम...