ग़ज़ल --- चोवा राम'बादल'
*बहरे रजज़ मुसद्दस मख़बून*
*मुस्तफ़इलुन मुफाइलुन*
2212 1212
सँच बोलबे बिगाड़ हे
मनखे के मन दू फाड़ हे
सब चिथ डरिन किसान ला
ठकठक ले बाँचे हाड़ हे
मौसम बिगड़गे अब हवय
बइसाख मा असाड़ हे
चैनल खबर के बंद कर
तिल के बनाये ताड़ हे
गोली चला खड़े हे वो
अउ मोर कंधा आड़ हे
चोवा राम 'बादल'
हथबंद, छत्तीसगढ़
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