गज़ल- ज्ञानुदास मानिकपुरी
बहरे रजज मुसद्दस सालिम
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 2212 2212
हाँसी ठिठोली देख करथे कोन हा
दुख पीरा कखरो आज हरथे कोन हा
बस दूर अँधियारी करे बर कहिथे सब
दीया बरोबर फेर जरथे कोन हा
कहिथे मिटाना हे उमन आतंक ला
औ जाके सीमापार मरथे कोन हा
चाही जियादा खेत मा सब ला उपज
बन खातू माटी आज सरथे कोन हा
बघुवा सही गुर्रात रहिथे बेटवा
दाई ददा ला 'ज्ञानु' डरथे कोन हा
ज्ञानु
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