*ग़ज़ल-आशा देशमुख*
*बहरे रजज़ मुस्समन सालिम*
*मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन *मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन*
*2212 2212 2212 2212*
घर द्वार हा मन जगमग करय चारों डहर उजियार हे
लक्ष्मी पधारे हे उँहा सुनता भरे परिवार हे।
खेती दिखत हे सोन कस कोठी भरत हे अन्न मा
हांसी खुशी घर घर बसे आये बड़े त्यौहार हे।
कातिक अमावस देख के पुन्नी लजावे हे अबड़
बैकुंठ अउ धरती सरग होवत हवय जयकार हे।
खाता बही गल्ला तिजोरी खोल के पूजा करय
मिहनत करम के हाथ मा बाढ़त हवय व्यापार हे।
गूँजय सुआ के गीत अउ गौरा गुड़ी सुघ्घर लगय
खनखन बजत हे धान हा सबके भरे कोठार हे।
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
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