गजल-चोवाराम वर्मा बादल
*बहरे रजज़ मुसद्दस सालिम*
*मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन*
*2212 2212 2212*
रसता मा काँटा हे बिझे चतवार दे
जाहीं अपट पथरा परे हे टार दे
माचिस धरे होबे त अइसे काम कर
अँधियार मा जाके दिया ला बार दे
हे लपलपावत देख वोहा जीभ ला
इरखा के डोमी चाब देही मार दे
जइसे अपन बर चाहथस सम्मान ला
तइसे तहूँ सम्मान अउ व्यवहार दे
मूँड़ी नवाँ के झेल झन अन्याय ला
हे खून हा तोरो गरम ललकार दे
काबर लमाथस बात जे हे फोसवा
दू शब्द के जी ठोंसहा उदगार दे
रहि रहि गरजथस फोकटे 'बादल' अबड़
सावन लगै फुरहुर झड़ी बौछार दे
चोवा राम 'बादल'
हथबंद,छत्तीसगढ़
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