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Friday 6 November 2020

ग़ज़ल-आशा देशमुख*

 *ग़ज़ल-आशा देशमुख*


*बहरे रजज़ मुस्समन सालिम*

*मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन  *मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन*

*2212  2212  2212  2212*


संशोधित


सोना नही चाँदी नही असली खजाना ज्ञान हे

कतको लुटाले चीज ला बड़का तो विद्यादान हे।1


मनखे बँटागे  जात मा मजहब धरम के आड़ मा

लावय दिवाली हा खुशी लाये खुशी रमजान हे।2


सब जीव मन बइठे हवे जी सत असत के बाट मा

जतका इहाँ भगवान हे वतका घलो शैतान हे।3


दरबार में जप तप खड़े पूजा हवन अउ प्रार्थना

चिखला सनाये पाँव  तब ले शुद्ध तो ईमान हे।4


भंडार खोली हा भरे जुच्छा हवय व्यवहार हा

गुत्तुर लगय पबरित मया मन मोहथे मुस्कान हे।5


उनमन धरिन हे कारखाना मिल महल व्यापार ला

हावय हमर कर खेत बारी घर भरे धन धान हे।6


अब का रखे हे नाम मा तँय पूछथस परदेशिया

आशा भरे हे जिंदगी सुमता मया पहिचान हे।7


आशा देशमुख

एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा

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