*ग़ज़ल ---आशा देशमुख*
*बहरे रमल मुसद्दस मख़बून मुसककन*
फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन
2122 1122 22
होय बरसात भराये पानी
भाग सबके ग जगाए पानी
भाव मनखे के कतिक हे गहरा
जब समे आय बताये पानी।2
तन भले हे सजे गहना गुरिया
मन मया नैन सजाये पानी।3
भोग छप्पन हा घलो हे सिठ्ठा
मान लोटा मा मढ़ाये पानी।4
बात बोली के लगे जब आगी
घर मया बोल बुझाए पानी।5
जब अबड़ खाय अजीरन होवै
पेट के रोग पचाए पानी।6
द्वार मा आय बड़े या छोटे
पाँव ला धोय मनाए पानी।7
जोर के चीज तिजोरी राखे
सब अबिरथा हे गँवाये पानी।8
मोह के रंग रँगे हे आशा
देह के राख नहाए पानी।9
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
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