गजल- ज्ञानुदास मानिकपुरी
बहरे रजज मुसद्दस मखबून
मुस्तफ़इलुन मुफ़ाइलुन
2212 1212
आदत अपन सुधार ले
झन देर कर बिचार ले
जाँगर चला कमा तहूँ
आलसपना ल टार ले
पागा सियानी के मिले
अउ का पहिर बघार ले
ठलहा बइठ के झन तहूँ
फोकट कभू पगार ले
जाथस जिनिस बिसाय बर
ले 'ज्ञानु' फेर सार ले
ज्ञानु
No comments:
Post a Comment