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Friday, 6 November 2020

गजल-अरुण कुमार निगम

 गजल-अरुण कुमार निगम


*बहरे रजज़ मुसद्दस मख़बून*

मुस्तफ़इलुन मुफ़ाइलुन

     2212      1212


जय जय कहव किसान के

जय जय कहव जवान के।


गढ़ना हवय हमन ला जी

रद्दा नवा बिहान के।


हम प्राण देबो देश बर

मन मा चलव ये ठान के।


भारत के पूत आन हम

सीना ला चलबो तान के।


पुरखा के गोठ ला "अरुण"

चलबो हमेशा मान के।


*अरुण कुमार निगम*

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