गजल-चोवाराम वर्मा बादल
*बहरे रजज़ मुसद्दस सालिम*
*मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन*
*2212 2212 2212*
खजरी चरे कस वो सड़क खउराय हे
पँवरी म भ्रष्टाचार के रउँदाय हे
हावय मया बेटी रतन बर देख तो
बेटा ला सुंदर फ्राक वो पहिनाय हे
वो लागथे बस दूध के धोये असन
चिखला म बड़ अज्ञान के छबड़ाय हे
पथरा धरे हस मारबे झन सोच गा
जेहा उठाही फायदा उकसाय हे
पँवरी ला धरके गिड़गिड़ाइस दोगला
बूता सलटगे देख तो अँटियाय हे
हनुमान ला का रोकलिस करके कपट
वो कालनेमी कसके मुटका खाय हे
चुपचाप 'बादल' गुनगुनाना सीख जा
गाना मुहब्बत के जगत का भाय हे
चोवा राम 'बादल'
हथबंद,छत्तीसगढ़
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