छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव
बहरे रमल मुसद्दस मख़बून मुसककन
फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन
2122 1122 22
गॉंव मा कोन हमावत हावय
जे अमरबेल जनावत हावय
चार सथरा ल गवाही धरके
हार पथरा म चढ़ावत हावय
पॉंव परलोखिया के पहिचानव
का सुवारथ म ओ आवत हावय
खेत घर बारी दुवारी ॲंगना
भेद भाॅंड़ी ले खॅंड़ावत हावय
हाय!पुतरा ल समझ के छौना
गाय बपुरी ह दुहावत हावय
जागरण गीत गजल गा गा के
जाग सुखदेव जगावत हावय
-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'
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