गजल- इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
*बहरे रजज़ मुसम्मन सालिम*
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 2212 2212 2212
महिना नवंबर एक तारिख सबला जय जोहार जी।
छत्तीसगढ़ निर्माण सपना मिल करिन साकार जी।
अरपा पखारय पाँव पावन आरती शिवनाथ हा
पूजा करे हसदो नदी इंद्रावती श्रृंगार जी।
आशा बने उम्मीद सबके आज आघू हे बढ़े
गूँजत हवे सबके हृदय संगीत बन ये तार जी।
सुख दुख धरे बितगे बछर सुन आज पूरा बीस हा
कर लौ मनन छत्तीसगढ़ बर होय का उपकार जी।
तनगे इहाँ बड़ कारखाना मील क्रेशर खान हा
तब ला हमर होये कहाँ हे देख लौ उद्धार जी।
भाखा तरसगे मान खातिर अउ किसानी दाम बर।
परदेशिया के फेर बढ़िया हे चलत व्यापार जी।
कहिथे कटोरा धान के छत्तीसगढ़ ये धाम ला।
माथा नवा परनाम भुइयाँ मोर बारम्बार जी।
इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )
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