गजल- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
*बहरे रमल मुसद्दस महज़ूफ़*
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
2122 2122 212
आदमी सब ले बड़े गुनवान हे।
भूल बइठे पर अपन पहिचान हे।
जन्मदाता नित नवा निर्माण के
सृष्टि रचनाकार भी इंसान हे।
श्रम लगन से छू बता दै आसमां
कर्म से मनखे बने भगवान हे।
ज्ञान के पोथी घलो मनखे रचे
संत गुरु आशिष बचन गुनगान हे।
तंत्र शासन ला घलो मनखे गढ़े
घर गलीचा खेत अउ खलिहान हे।
लोहपथगजगामिनी पक्का सड़क
कारखाना भी मनुज वरदान हे।
तोर श्रम पूजा बरोबर हे मनुज
फेर पात्रे बन फिरे अनजान हे।।
इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )
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