गजल-अरुण कुमार निगम
*बहरे रमल मुसद्दस मख़बून मुसककन*
फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन
2122 1122 22
छोड़ के गाँव कहाँ जाबे रे
कोन दुनिया मा ठियाँ पाबे रे।
ईंटा पथरा के शहर मा बइहा
तँय मया गीत कहाँ गाबे रे।
सोन के मोह मया मा तँय हर
बेच ईमान कतिक खाबे रे।
खेत खलिहान बियारा बारी
जब बुलाही त लहुट आबे रे।
एक बिनती हे अरुण बर संगी
नैन मा भर के मया लाबे रे।
*अरुण कुमार निगम*
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