गजल- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
*बहरे रमल मुसद्दस मख़बून मुसककन*
फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन
2122 1122 22
हौसला राख तभे बढ़ पाबे।
जीत के ऊँचा शिखर चढ़ पाबे।
जान ले पीर पराई दुनिया
भाव जन दर्द खुदे पढ़ पाबे।
तँय कलम वीर सिपाही बन जा
फेर इतिहास नवा गढ़ पाबे।
संग धर गोठ सियानी मन के
जिनगी के सार तहूँ कढ़ पाबे।
बन गजानन्द पुजारी सत के
झूठ मा साँच तभे मढ़ पाबे।
इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )
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