ग़ज़ल- ज्ञानुदास मानिकपुरी
बहरे रजज मुस्समन सालिम
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 2212 2212 2212
रिश्ता नता ला आज दुनिया मा निभावत कोन हे
दुख के बखत कखरो इहाँ ढाँढस बंधावत कोन हे
भूले करम अउ हे धरम मनखे इहाँ सब स्वार्थ मा
काँटा परे रस्ता हवय देखव उठावत कोन हे
आवय नशा जड़ नाश के हावय फँसत अउ आदमी
पद पइसा पाँवर के नशा मा थाह पावत कोन हे
दाई ददा अउ गुरु इहाँ साक्षात इन भगवान हे
सच जानके इँखरे तभो सेवा बजावत कोन हे
करमा सुआ पंथी भड़ौनी नाच गम्मत ददरिया
भूले मया के गीत ला सब 'ज्ञानु' गावत कोन हे
ज्ञानु
No comments:
Post a Comment