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Thursday, 17 December 2020

ग़ज़ल -जीतेंन्द्र वर्मा'खैरझिटिया'*

 ग़ज़ल -जीतेंन्द्र वर्मा'खैरझिटिया'*


*बहरे रमल मुरब्बा सालिम*

*फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन*

*2122 2122*


विस्की अउ ना रम सही हे।

बड़ खुशी ना गम सही हे।1


तोर उजड़ही आशियाना।

बोल बारुद बम सही हे।2


का ठिहा का ठौर पाबे।

आस ना संयम सही हे।3


जादा मा डर हे जरे के।

चीज बस तब कम सही हे।4


मरगे मनखे मोर मैं मा।

छोड़ चक्कर हम सही हे।5


बारे घर बन ला उजाला।

ता रहन दे तम सही हे।6


चोचला बड़ हे बड़े के।

आम मन लमसम सही हे।7


जीतेंन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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