Total Pageviews

Thursday 17 December 2020

गजल- दिलीप कुमार वर्मा बहरे रमल मुरब्बा सालिम

 गजल- दिलीप कुमार वर्मा 

बहरे रमल मुरब्बा सालिम 

फ़ाइलातुन  फ़ाइलातुन 


2122  2122 


नाव नदिया मा चला ले। 

संग तँय मोला बला ले। 


पा जबे कुछ दाम संगी। 

तन अपन थोरिक गला ले। 


जाड़ बाढ़े हे बहुत जी। 

तापे बर भुर्री जला ले। 


सूख गे हे खेत जम्मो। 

अब तनिक पानी पला ले। 


फोर देथे बेंदरा हर। 

टोर छानी छत ढला ले। 


रचनाकार-दिलीप कुमार वर्मा 

बलौदाबाजार छत्तीसगढ़

No comments:

Post a Comment

गजल

 गजल पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खात हावँय घूम घुम...