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Thursday 24 December 2020

ग़ज़ल --आशा देशमुख*

 *ग़ज़ल --आशा देशमुख*


*बहरे हज़ज मुसद्दस महजूफ़*

*मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन*


*1222 1222 122*



ये दुनिया मा तें जब ले आय सनिमा।

बड़े छोटे सबो ला भाय सनिमा।


लगे रंगीन सपना कस ये जिनगी

सरी दुनिया घरो घर छाय  सनिमा।


हवय परिवार घर अउ देश  कइसे

जगत ला आइना देखाय सनिमा।


कला निखरे अबड़ कन रूप धरके

मया ला भीतरी बैठाय सनिमा।


ये माया लोक के महिमा अजब हे

लगे जादू सहीं भरमाय सनिमा।


कभू मितवा कभू बैरी बने हे

हँसाये हे कभू रोवाय सनिमा।


जतिक हे राग धुन रस गीत आशा

सबो जन भाव ला पहुँचाय सनिमा।


आशा देशमुख

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