छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव
बहरे हज़ज मुसद्दस महजूफ़
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन
1222 1222 122
सदा सच बोल सत मा राह रत जी
पहा जाही उमर जिनगी हॅंसत जी
गुरू दाई ददा सज्जन सुधी बर
हृदय मा भाव रख आदर विनत जी
सगा नित हाथ आवय चार पैसा
कुछू व्यवसाय कर घर मा रहत जी
कलेचुप नेक कारज ला करे जा
समय आही कदर करही जगत जी
सदा संघर्ष कर धारा म सच बर
मरे मछरी सहीं झन जा बहत जी
चिटिक गुन सोच ले मनुवा थिरा के
हवय प्रतिकूल जब बेरा बखत जी
उदिम सुखदेव कोई लाख करलै
कभू नइ सॉंच होवत हे गलत जी
-सुखदेव सिंह''अहिलेश्वर''
गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़
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