छत्तीसगढ़ी गजल-आशा देशमुख
बहरे रमल मुरब्बा सालिम
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
2122 2122
तोर करनी काम आही ,
खुद बुलाये राम आही।1
फिर चुनावी साल आ गे,
तोर कतको दाम आही ।2।
घाम देखे हार झन तँय,
छाँव देवत शाम आही।3।
काम करले बेर हावय,
फिर पिछू तो घाम आही।4।
कर ददा दाई के सेवा,
रेंग चारो धाम आही ।5।
दुर्गा शंकर इजारदार
सारंगढ़(छत्तीसगढ़)
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