छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव
बहरे हज़ज मुसद्दस महजूफ़
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन
1222 1222 122
कभू घुड़की कभू दुत्कार देथस
बिना सोचे रचारच मार देथस
पतीवरता ए रहि जाथे सुबक के
तहीं कोनो कुती मुॅंह टार देथस
ददा दाई हवय मइके म ओखर
मुड़ी मा दोष ला कच्चार देथस
बुड़े ले जेन हा तोला बचाथे
उही पत्नी ल सुनथन तार देथस
पती परमेश्वर के पद अपन बर
पुरुष पोथी सुना उद्गार देथस
बहू बेटीन झन झाकॅंय दुवारी
घुमे बर पूत ला संसार देथस
सुने जाने बिना तॅंय पक्ष ओखर
बिचारी पत्नी ला ॲंक्कार देथस
कभू सच न्याय नारी पूछ लेथे
कथा कहिनी सुना बेंवझार देथस
कथस घरमालकिन सुखदेव एती
जुआ मा धन समझ के हार देथस
-सुखदेव सिंह''अहिलेश्वर''
गोरखपुर कबीरधाम छ.ग.
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