गज़ल- ज्ञानुदास मानिकपुरी
बहरे रमल मुरब्बा सालिम
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
2122 2122
जिनगी के आधार रख तँय
दिल मा सब बर प्यार रख तँय
छोड़ अदरा बदरा मनला
ठोस ठाहिल सार रख तँय
चल जही रख झन भले कुछ
फेर हा संस्कार रख तँय
दुक्ख देवइया कमी नइ
हिरदे सुख भंडार रख तँय
जीतना जग ला हवय ता
नम सरल व्यवहार रख तँय
कतको हावय फन उठइया
काँटे बर तलवार रख तँय
काम आवय जें बखत मा
'ज्ञानु' संगी चार रख तँय
ज्ञानु
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