छत्तीसगढ़ी गजल-दुर्गाशंकर
बहरे हज़ज मुसद्दस महजूफ़
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन
1222 1222 122
पुलिस अउ चोर के गँठजोर हावै,
सबो मोहल्ला मा इहि सोर हावै ।
समय होथे महा बलवान जानव,
समय ऊपर रे काकर जोर हावै।।
डरव झन सेर भालू चितवा से अब,
रे मनखे आज आदमखोर हावै ।।
उजड़ गे बन कटागे रूख राई ,
कहाँ अब बन म कुहकत मोर हावै।।
जलत हे भाई ला देख भाई ,
कहाँ बँधना मया के डोर हावै।।
करम के फूटहा होगे किसानी ,
दिखे ठसठस ले भीतर झोर हावै।
रखे हस जेन ला रखवार दुर्गा,
उही सबले बड़े तो चोर हावै।।
दुर्गा शंकर इजारदार
सारंगढ़ (छत्तीसगढ़)
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