*ग़जल--चोवा राम 'बादल'*
*बहरे रमल मुसम्मन सालिम*
फा़इलातुन फा़इलातुन फा़इलातुन फा़इलातुन
2122 2122 2122 2122
घाम लागय सास बड़की छाँव सारी कस दुलौरिन
भोंभरा जइसे सुवारी बड़ पदोथे रोज गउकिन
झाँझ-झोला अउ बँड़ोरा दुश्मनी ढाने हवय गा
छटपटाथे जीव भारी प्यास मरथे घात छिन छिन
थपथपाथे बड़ पसीना चिपचिपाथे देंह कपड़ा
मूँड़ पिरवा होगे गरमी कोन तरिया तन ल बोरिन।
देख कूलर घुरघुराथे चुरमुराथे जाम पंखा
तीप जाथे करसी पानी कामा शरबत आज घोरिन
दुष्ट धमका आ धमकथे का बिहनिया का मँझनिया
ताव देखाथे सुरुज हा कतका ओकर हाथ जोरिन
चोवा राम 'बादल'
हथबंद,छत्तीसगढ़
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