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Tuesday, 15 December 2020

ग़जल--चोवा राम 'बादल'*

 *ग़जल--चोवा राम 'बादल'*


*बहरे रमल मुसम्मन सालिम*

फा़इलातुन फा़इलातुन फा़इलातुन फा़इलातुन


2122 2122 2122 2122


घाम लागय सास बड़की  छाँव सारी कस दुलौरिन

 भोंभरा जइसे सुवारी बड़ पदोथे रोज गउकिन


झाँझ-झोला अउ बँड़ोरा  दुश्मनी ढाने हवय गा

छटपटाथे जीव भारी प्यास मरथे घात छिन छिन


थपथपाथे बड़ पसीना चिपचिपाथे देंह कपड़ा

मूँड़ पिरवा होगे गरमी कोन तरिया तन ल बोरिन।


देख कूलर घुरघुराथे चुरमुराथे जाम पंखा 

तीप जाथे करसी पानी कामा शरबत आज घोरिन 


दुष्ट धमका आ धमकथे का बिहनिया का मँझनिया

ताव देखाथे सुरुज हा कतका ओकर हाथ जोरिन 



चोवा राम 'बादल'

हथबंद,छत्तीसगढ़

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