*ग़जल--चोवा राम 'बादल'*
*बहरे रमल मुसम्मन सालिम*
फा़इलातुन फा़इलातुन फा़इलातुन फा़इलातुन
2122 2122 2122 2122
मन हा मंदिर बन जतिस वइसन कृपा हे नाथ कर दे
प्रेम के पावन अमृत ला सबके अंतस घट मा भर दे
रात दिन तो घेरे रहिथे छल कपट के बैरी निसचर
मूँड़ मा बइठे अहम के भार ला भगवान हर दे
खून चूसत जेन हाबय कटकटा के चाब अबड़ेच
द्वेष के मच्छर के मुँह ला बइगा मंतर मार धर दे
तिजरा जर कस माया ममता घेरी बेरी करथे हमला
ज्ञान के गोली हमूँ खा लेबो कब आबे खबर दे
सत के मारग धर के रेंगयँ अउ अलख सत के जगावयँ
सिरतो बन जाही सरग ये धरती अइसन नारी नर दे
चोवा राम 'बादल'
हथबंद,छत्तीसगढ़
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