ग़ज़ल- मनीराम साहू 'मितान'
बहरे रमल मुसम्मन सालिम
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
2122 2122 2122 2122
धीर धरके मीठ बोली बोल हाबय बड़ जरूरी।
शब्द जम्मो वाक्य हरदम तोल हाबय बड़ जरूरी।
जाय बर जब बाट हाबय संग रखले सावचेती,
हो गहिर मत रेंग आँखी खोल हाबय बड़ जरूरी।
आय नइ कब्भू लहुट के जात हे वो बिन थमे जी,
काम करके कर समे के मोल हाबय बड़ जरूरी।
बोंय बर हाबय फसल गा खेत मा जब ओनहारी,
खूब वो जोताय राहय ओल हाबय बड़ जरूरी।
बाँट ले सब ला खुशी तैं दुख दरद के माँग बाँटा,
बाढ़ बर तैं पीट सुमता ढोल हाबय बड़ जरूरी।
हे दिखत लकड़ी निकामिल सोझियाही टेड़गा हा,
बिन फबक के गाँठ पिरकी छोल हाबय बड़ जरूरी।
घर करय झन तोर अंतस सुन मनी ये किसकिसी हा,
झन पलन दे ध्यान दे झट कोल हाबय बड़ जरूरी।
- मनीराम साहू 'मितान'
No comments:
Post a Comment