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Thursday, 17 December 2020

गजल- मनीराम साहू 'मितान'

 गजल- मनीराम साहू 'मितान'


बहरे रमल मुरब्बा सालिम 

फ़ाइलातुन  फ़ाइलातुन 

2122   2122 


काज परहित कर भला हे।

घाम मा कुछ जर भला हे।


मार दे अँधियार बइरी,

दीप कस तैं बर भला हे।


सोरिया दुखिया मनुज ला

पीर ला तैं हर भला हे।


पाँव झन दे झूठ के डग 

पाप ले कुछ डर भला हे।


काय मरना भात खाती

बात बर तैं मर भला हे।


देख बइरी बड़ तपत हे,

जा नँगत के छर भला हे।


बाट चल चतवार के तैं,

झन रहय अद्दर भला हे।


भाय सब ला सुन मनी तैं,

बोल रख कोंवर भला हे।


- मनीराम साहू 'मितान'

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