*ग़ज़ल--आशा देशमुख*
*बहरे रमल मुसम्मन सालिम*
*फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन*
*2122 2122 2122 2122*
भाग बड़ हे तोर होवत हे सदा दिन मान कुरसी।
बेसुरा हे राग तबले तोर हे गुणगान कुरसी।
शान शौकत नाम पदवी आय मनखे के खजाना
तोर खातिर प्राण के बाजी लगय बेजान कुरसी।2
अब कहाँ तीरथ बरत हे कोन अब सेवा करत हे
आज के भगवान माया योग जप तप ध्यान कुरसी।3
हे भले आकाश ऊँचा हे बड़े परवत समुन्दर
तोर का औकात मनखे हे अबड़ बलवान कुरसी।4
मीठ लबरा मन सुहावन बोल से लुटे खजाना
सत्य सेवा अउ धरम के माँगथे बलिदान कुरसी।5
आशा देशमुख
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