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Thursday, 17 December 2020

गजल- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

 गजल- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"


बहरे रमल मुरब्बा सालिम 

फ़ाइलातुन  फ़ाइलातुन 


2122   2122 


हाल बड़ बेहाल होगे।

जनता हा कंगाल होगे।


बेच डारिन देश धन ला

नेता मालामाल होगे।


योजना हे बस कलम मा

पर हकीकत झाल होगे।


दीन दुखिया नइ पुछाड़ी

सुख नही दुख काल होगे।


आज हमरे भाग मा बस

नून बासी दाल होगे।


नइहे कोनों सुख मसीहा

सबके बदले चाल होगे।


देख हालत देश पात्रे

खून मा ऊबाल होगे।



गजलकार- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )

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