*ग़ज़ल --आशा देशमुख*
*बहरे हज़ज मुसद्दस महजूफ़*
*मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन*
*1222 1222 122*
हवा के रँग कहानी ला लिखत हँव
प्रकृति के गुण जवानी ला लिखत हँव।
भरे बरसात हा आँखी तरी हे
लगन मिहनत किसानी ला लिखत हँव।
बहागे धार नदिया मा कतिक झन
बचे मन के जुबानी ला लिखत हँव।
तमाशा देखथे आगी लगाके
परे फोड़ा निशानी ला लिखत हँव।
मुड़ी तक बोरके दाई ददा ला
लड़कपन के फुटानी ला लिखत हँव।
मँगैया मन तिजोरी ला धरे हें
हमर मन के नदानी ला लिखत हँव।
अमीरी अउ गरीबी छोर दू ठन
नता रिश्ता मितानी ला लिखत हँव।
आशा देशमुख
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