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Thursday 24 December 2020

गज़ल- ज्ञानुदास मानिकपुरी

 गज़ल- ज्ञानुदास मानिकपुरी 


बहरे हजज मुसद्दस महजूफ़

मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन 

1222 1222 122


अपन मनके चलइया सब हवय गा

कमाना नइ खवइया सब हवय गा


नँदावत रीति अउ संस्कार भाई

निभइया नइ बतइया सब हवय गा


चलौ मिल बाँटके खाबो तो कहितिन 

कहाँ पाबे लुटइया सब हवय गा


सुघर लिख रचना कतको कोन पढ़थे

पढ़इया नइ लिखइया सब हवय गा


तुहँर सब माँग पूरा 'ज्ञानु' करबो 

करइया नइ कहइया सब हवय गा


ज्ञानु

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