🌹 ग़ज़ल -आशा देशमुख🌹
*बहरे रमल मुसमन महज़ूफ़*
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
*2122 2122 2122 212*
संशोधित
जेन टूटे हे नता ला जोड़ के सुघ्घर बना।
द्वेष इरखा डंक बानी छोड़ के सुघ्घर बना।1
लान ईंटा गार माटी नेंव धरले अब गियाँ
घर अबड़ धसकत हवय अब तोड़ के सुघ्घर बना।2
रोज पानी बर भटकथस ये गली अउ वो गली
जे कुँआ सुक्खा पड़े हे कोड़ के सुघ्घर बना।3
आय गरमी दुख अबड़ पानी बिना तरसे फसल
सोझ जावय जे नहर वो मोड़ के सुघ्घर बना।4
फूल फल मेवा मिठाई सब जिनिस सउघे चढ़े
होय शुभ सब काम नरियर फोड़ के सुघ्घर बना।
आशा देशमुख
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