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Friday, 4 December 2020

ग़ज़ल--जीतेंन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

 ग़ज़ल--जीतेंन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"


*बहरे रमल मुसमन महज़ूफ़*


फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन


*2122 2122 2122 212*


मोर सँग तैंहर मया के गीत गाबे का बता।

जौन गेहे हार थक तेला उठाबे का बता।1


भूल जाथस मीत ममता भूल जाथस सत मया।

तान के पड़ही तमाचा ता भुलाबे का बता।2


जौन तोरे बस मा हावै काम उसने कर सदा।

रोंठ हे मछरी गरी ले ता फँसाबे का बता।3


देख सिधवा भाव खाथस आँख देखावत रथस।

दोगला अतलंगहा ले जीत पाबे का बता।4


कोई सीथा मा अघाये कोई छप्पन भोग मा।

चीज बस धन सोन चाँदी खा अघाबे का बता।5


गाय नइहे बरदी मा सकलाय हे गरदी गजब।

शेर बघवा भालू ला तैंहा चराबे का बता।6


मैं भगइया भूत के अँव मैं मसक देथौं नरी।

हाथ छोड़ा भागबे या तीर आबे का बता।7


ताक झन मुँह काखरो अहसान लेना छोड़ दे।

पर भरोसा पेट भरही ता हिताबे का बता।8


तैं कहाथस सेठ साहब नाव हे अउ जात हे।

का कभू छत्तीसगढ़िया तैं कहाबे का बता।9


जीतेंन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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