🌹 ग़ज़ल -आशा देशमुख🌹
*बहरे रमल मुसमन महज़ूफ़*
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
*2122 2122 2122 212*
झन करव झगड़ा लड़ाई छोटकुन जी बात मा
फोकटे काबर उतरथव रंग मजहब जात मा।
कोन बड़का कोन छोटे एक सब ला जान लव
सब चलव कंधा मिलाके झन लताड़व लात मा।
शीत गरमी मा सकेले खाय हव सब बैठ के
अब उठव करलव बुता खेती करव बरसात मा।
देश दुनिया हा चलत हे आपसी व्यवहार ले
फायदा अउ शाख बनथे चीज के निरयात मा।
भीड़ भारी हे तभो अनजान कस लागे शहर
मन मया के लागमानी मन बसें देहात मा।
सुख चले डेना लगाके दुख के टूटे गोड़ हा
का फरक कइसे करय अँधरा बता दिन रात मा।
खोज ले मंदिर देवालय नइ दिखय भगवान हा।
देख ले बैकुंठ सँउहत सुख सरग पितु मात मा।
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
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