*ग़ज़ल --आशा देशमुख*
*बहरे रजज़ मुसद्दस सालिम*
*मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन*
*2212 2212 2212*
काबर खवाये पान मोला मोहनी
कइसे चलाये बान मोला मोहनी।
बइहा सहीं किंजरत हवँव मय रात दिन
दे दे मया के दान मोला मोहनी।
रेंगत हवच मटकात आँखी कान ला
थोकिन नजर दे ध्यान मोला मोहनी।
संगी सहेली सँग चलत हस हाँस के
पाछू हवँव पहिचान मोला मोहनी।
हिरदे जपत हे रोज तोरे नाम ला
अब झन समझ वो आन मोला मोहनी।
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
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