*ग़ज़ल --आशा देशमुख*
*बहरे रजज़ मुसद्दस सालिम*
*मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन*
*2212 2212 2212*
डबरी छिंचावत हे सुने हँव चल सगा
मछरी पकावत हे सुने हँव चल सगा।
दिनरात मुँहटा मा कुकुर बइठे रहय
गइया बँधावत हे सुने हँव चल सगा।
खेती भरोसा मा जिये दाई ददा
बेटा बुलावत हे सुने हव चल सगा।
देखे हिरक के नइ कभू वो आजतक
पीढ़ा मढ़ावत हे सुने हँव चल सगा।
गाड़ी धरे अउ जाय ब्यूटी पार्लर
चूल्हा जलावत हे सुने हँव चल सगा।
कँउवा ल मिलगे नौकरी दरबार मा
गाना सुनावत हे सुने हँव चल सगा।
चंदा सुरुज पानी हवा हा नइ बँटय
आशा जगावत हे सुने हँव चल सगा।
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
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