🌹 *ग़ज़ल -आशा देशमुख* 🌹
*बहरे रमल मुरब्बा सालिम*
*फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन*
*2122 2122*
घोषणा अब्बड़ करे हे।
जेब ला खुद के भरे हे।
फूँक के पीए मही ला
दूध मा जेहर जरे हे।
चित्र मा दिखथे बगीचा
जाय मा छेरी चरे हे।
आज मनखे रंग बदले
लाज मा टेटका मरे हे।
नीम के घर काम आगे
द्वार मा महुआ झरे हे।
ये चुनावी पेड़ मा जी
झूठ के वादा फरे हे।
रोय अब्बड़ अन्नपूर्णा
धान खुल्ला मा सरे हे।
आय मुसवा के तिजोरी
साँप हा चाबी धरे हे।
बाँचही का प्रेम आशा
सोच के आँसू ढ़रे हे।
आशा देशमुख
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