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Friday, 4 December 2020

गजल- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

 गजल- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"


बहरे रजज़ मुसद्दस सालिम

मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन

2212  2212  2212


गुरु हे बड़े भगवान ये संसार मा।

नइया लगाये पार जे मझधार मा।


जानय नही मन भेद बड़का छोट के

रखथे बराबर भाव खुद ब्यवहार मा।


जिनगी सँवारे राह सच के दे सदा

गुरु जोत शिक्षा बारे हे मन द्वार मा।


गुरु के सहारा नाम दुनिया हे मिले

आशा जगाये जीत हो या हार मा।


बलिहार जिनगी हे करे पात्रे अपन

दरजा दिये गुरु ला बड़े करतार मा।


इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़ )

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